ग्रेटर नोएडा: accused of cyber fraud अदालत ने साइबर ठगी के लिए बैंक खाता उपलब्ध कराने के आरोप में गिरफ्तार आरोपी वरुण प्रताप सिंह की जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने दलीलें सुनने और दस्तावेजों के अवलोकन के बाद यह निर्णय दिया। नोएडा के सेक्टर-68 स्थित डंपिंग ग्राउंड के पास से आठ नवंबर को आरोपी वरुण प्रताप सिंह के साथ तीन अन्य आरोपी सार्थक गुप्ता, अर्थव दीक्षित और मोनू यादव को गिरफ्तार किया गया था। आरोपी फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अलग-अलग नामों से बैंक खाते खुलवाते थे और खातों को साइबर अपराधियों को बेचते थे। आरोपियों के मोबाइल फोन से कई बैंकों के खातों का डाटा, डेबिट कार्ड, चेकबुक और अन्य दस्तावेज बरामद हुए थे। इन खातों की दैनिक लिमिट 50 लाख रुपये से लेकर पांच करोड़ रुपये तक थी।
खातों का डिजिटल अरेस्ट में भी इस्तेमाल accused of cyber fraud

इन खातों का डिजिटल अरेस्ट में भी इस्तेमाल किया गया था। पुलिस ने एक कार, सात डेबिट कार्ड, एक चेकबुक और 2200 रुपये नकद भी बरामद किए थे। मुख्य सह-आरोपी मोनू यादव की व्हाट्सऐप चैट में कई बैंक खातों की जानकारी साइबर ठग रोहित यादव को भेजे जाने के प्रमाण मिले थे। केस डायरी के अनुसार बरामद डेबिट कार्डों में कई खाताधारकों अशोक कुमार, धनेश कुमार आदि से संपर्क नहीं हो सका। वहीं, शेखर शाक्य ने बताया कि उसके साथ चार लाख रुपये की साइबर ठगी हुई थी। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और दस्तावेजों के अवलोकन के बाद माना कि बड़े स्तर पर साइबर फ्रॉड को अंजाम देने के लिए खुलवाए गए ये फर्जी खाते किसी संगठित ठगी रैकेट का हिस्सा प्रतीत होते हैं, इसलिए आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती।
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