लखीमपुर खीरी: Jail for seven months even after completion of sentence एक अपराध की पूरी सजा काटने के बाद फिर सात महीने की जेल काटने का मामला संज्ञान में आने के बाद हाईकोर्ट ने आनन फानन सुनवाई करते हुए बंदी राजनारायण की रिहाई के आदेश दिए हैं। शासकीय अधिवक्ता डॉ. विजय सिंह के माध्यम से आदेश की जानकारी मिलते ही जिला जेल प्रशासन ने शुक्रवार को बंदी राजनारायण की रिहाई कर दी है। हालांकि, दोबारा सजा के मामले ने पूरे सिस्टम को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। वहीं विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली निःशुल्क कानूनी सहायता पर भी सवाल उठे हैं।
शहर के मुहल्ला गोकुलपुरी के रहने वाले राजनारायण उर्फ रामू के खिलाफ उसकी किरायेदार रही युवती ने 1994 में दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। सुनवाई के बाद एफटीसी जज चंद्रहास राम सरोज ने आठ अक्तूबर 2003 को राजनारायण को सात साल की सजा सुनाई थी। उसके भाई राजेंद्र नाथ ने हाईकोर्ट लखनऊ में सजा के खिलाफ अपील की लेकिन इस याचिका पर सुनवाई नहीं हुई। कानूनी पैरवी के लिए अपने हिस्से का आधा मकान भी बेच डाला था। तब तक राजनारायण को केंद्रीय कारागार बरेली भेजा जा चुका था। वहां 7 साल की सजा काटने के बाद 14 मार्च 2009 को वह छूटा और मकान में अपने बचे हुए हिस्से को भी बेचकर दूसरी जगह रहने लगा।
एक चूक ने कटवाई सात महीने की जेल
पूरे मामले में राजनारायण और पुलिस की चूक रही। किसी ने अदालत को यह सूचना नहीं दी कि राजनारायण की सजा पूरी हो चुकी है। इधर, इस केस की सुनवाई आठ सालों बाद जब 15 नवंबर 2022 को जस्टिस सरोज यादव के सामने आई तो फिर बहस के लिए राजनारायण के वकील नदारद थे। वहीं, इससे पहले नोटिस के जवाब में पुलिस ने भी लिखा था कि राजनारायण 2014 में ही मकान बेचकर गायब हो गया है। पुलिस के इस जवाब के बाद अदालत का माथा ठनका तो उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट के साथ ही कुर्की के आदेश दिए थे। सीजेएम को लिखापढ़ी करते हुए गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। इसके बाद पुलिस ने राजनारायण को फिर जेल भेज दिया गया।
डिप्टी रजिस्ट्रार ने कर दी अनसुनी
हाईकोर्ट के आदेश पर जब सीजेएम अदालत ने 13 दिसबंर 2022 को राजनारायण को जेल भेज दिया तो अगले ही दिन जेल प्रशासन ने पत्र लिखते हुए सीजेएम कोर्ट में अवगत कराया था कि बंदी राजनारायण तो पहले ही इस मामले की पूरी सजा काट चुका है। 15 दिसंबर 2022 को ही सीजेएम अशोक कुमार ने हाईकोर्ट के उपनिबंधक को पत्र लिखते हुए पूरे प्रकरण से अवगत कराया था, बाद में भी कई बार रिमाइंडर लिखे गए लेकिन हाईकोर्ट से कोई जवाब न आया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भी लिखा था पत्र Jail for seven months even after completion of sentence
जेल प्रशासन की ओर से इस मामले में 13 मई 2023 को लोगों को निशुःल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराने वाले प्राधिकरण को प़त्र लिखा था और मामले में त्वरित कार्यवाही का अनुरोध किया था मगर यहां भी जेल प्रशासन का पत्र ठंडे बस्ते में चला गया।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने लिया संज्ञान Jail for seven months even after completion of sentence
इस मामले में हाईकोर्ट के संज्ञान में लेने के बाद ही राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव संजय सिंह ने शुक्रवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग करते हुए जिले के जिम्मेदार अधिकारियों से इस मसले पर पूछताछ की है कि 13 मई 2023 के जेल प्रशासन के पत्र पर क्या कार्रवाई की गई।
तीस साल पुराने जमानतदारों के भेजा नोटिस Jail for seven months even after completion of sentence
कानून के जानकारों की मानें तो सजा के फैसले के बाद विचारण वाले जमानतदारों की भूमिका समाप्त हो जाती है। अपील के लिए दाखिल किए गए नए जमानतदारों की जिम्मेदारी होती है कि वह अपीलकर्ता की उपस्थित कराएं। इस मामले में मई 2014 में दाखिल हुए जमानतदारों को नोटिस भेजे जाने थे मगर नोटिस तीस साल पुराने जमानतदारों को भेज दिए गए। किसी ने इन जमानतदारों का रिकॉर्ड खंगालने की जहमत भी नही उठाई।
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