Reiterates Demand for Religious Status: लिंगायत समुदाय ने अलग धर्म का दर्जा देने की मांग दोहराई

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Reiterates Demand for Religious Status: कर्नाटक में लिंगायत समुदाय ने अपने कई संतों के नेतृत्व में एक अलग धर्म का दर्जा दिए जाने की अपनी मांग दोहराई। यह मांग ‘‘लिंगायत मातादीशरा ओक्कुटा’’ द्वारा आयोजित ‘बसव संस्कृति अभियान-2025’ के समापन समारोह में उठाई गई। रविवार को आयोजित समारोह में पारित पांच प्रस्तावों में लिंगायतों की धार्मिक मान्यता के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी शामिल है।

सभी लिंगायत पहले भारतीय Reiterates Demand for Religious Status

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘सभी लिंगायत पहले भारतीय हैं। लिंगायत धर्म कन्नड़ का धर्म है। धर्म से पहले देश आता है। राष्ट्रीय चेतना के साथ देश की एकता के लिए सदैव प्रयासरत रहें।’’ लिंगायत धर्म को महात्मा बसवेश्वर और अन्य शरणों द्वारा 12वीं शताब्दी में स्थापित सबसे महान धर्म बताते हुए प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘भौगोलिक दृष्टि से हम सभी हिंदू हैं। धार्मिक मान्यता के लिए जागरूकता बढ़ाते रहें ताकि लिंगायतों को बौद्ध, जैन और सिखों की तरह सरकारी लाभ और आरक्षण सुविधाएं मिल सकें।’’

प्रगति के लिए प्रयास करना Reiterates Demand for Religious Status

लिंगायत धर्म को समानता, भाईचारे और मानवीय मूल्यों का सच्चा धर्म बताते हुए प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘हम सभी को लिंगायतों की छोटी, पिछड़ी उपजातियों को अपनाना चाहिए, उनकी प्रगति के लिए प्रयास करना चाहिए, उपजातियों के बीच सभी मतभेदों को त्यागना चाहिए तथा उपजातियों के बीच वैवाहिक संबंध विकसित करने चाहिए।’’ समापन समारोह में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, मंत्री एम बी पाटिल, शरण प्रकाश पाटिल, लक्ष्मी हेब्बालकर आदि ने भाग लिया।

कांग्रेस पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ी Reiterates Demand for Religious Status

माना जाता है कि अलग धर्म के दर्जे के मुद्दे के कारण 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ी। सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा लिंगायत समुदाय को ‘धार्मिक अल्पसंख्यक’ का दर्जा देने के लिए केंद्र से सिफारिश करने के फैसले के परिणामस्वरूप पार्टी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

हार का सामना करना पड़ा Reiterates Demand for Religious Status

लिंगायत बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस को हार का सामना करने के साथ-साथ ‘अलग लिंगायत धर्म’ आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल उसके अधिकतर नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा। इस कदम को समुदाय को विभाजित करने के प्रयास के रूप में भी देखा गया, क्योंकि एक वर्ग ने वीरशैव और लिंगायत को एक ही बताए जाने पर नाराजगी व्यक्त की।

धर्म का दर्जा दिए जाने की मांग Reiterates Demand for Religious Status

अखिल भारत वीरशैव महासभा के नेतृत्व वाले एक वर्ग ने अलग धर्म का दर्जा दिए जाने की मांग की थी और कहा था कि वीरशैव और लिंगायत एक ही हैं, जबकि दूसरा समूह इसे केवल लिंगायतों के लिए चाहता था क्योंकि उनका मानना ​​है कि वीरशैव, शैवों के सात संप्रदायों में से एक है, जो हिंदू धर्म का हिस्सा है। रविवार को भी यह विभाजन स्पष्ट दिखाई दिया, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समुदाय के नेता इस कार्यक्रम से दूर रहे।

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