Admission in Sainik School: भारत-चीन सीमा पर बसे गांव के बच्चों का सैनिक स्कूल में प्रवेश का सपना हो रहा साकार

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Admission in Sainik School: अरुणाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती जनजातीय गांव सरली की एक 12 वर्षीय बच्ची ‘मिली याबी’ ने अपनी लगन और Indian Army के मार्गदर्शन के बल पर सैनिक स्कूल ईस्ट सियांग में प्रवेश प्राप्त कर एक प्रेरणादायी मिसाल कायम की है।

सैन्य अधिकारी के तौर पर राष्ट्र की सेवा

सेना को उम्मीद है कि यह छात्रा एक दिन एनडीए में प्रवेश लेकर सैन्य अधिकारी के तौर पर राष्ट्र की सेवा करेगी। दरअसल, सरली देश का सीमावर्ती गांव है, जो भारत-चीन सीमा के समीप बसा है। इस गांव की आबादी लगभग 1,500 है और यह ईटानगर से करीब 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

विशेष मेंटरशिप पहल शुरू Admission in Sainik School

ऐसे में यहां संसाधनों की कमी और कई भौगोलिक कठिनाइयां मौजूद हैं। इसके बावजूद यहां के बच्चे Indian Army से प्रेरणा लेकर सशस्त्र बलों में शामिल होने का सपना देखते हैं। इसी भावना को साकार करने के लिए भारतीय सेना की स्पीयर कॉर्प्स ने मई 2024 में एक विशेष मेंटरशिप पहल शुरू की। इस पहल का उद्देश्य दूरस्थ सीमावर्ती गांवों के बच्चों को सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराना था। इस कार्यक्रम के तहत कक्षा 5 और 8 के 33 बच्चों का चयन किया गया।

विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों का भ्रमण Admission in Sainik School

सितंबर 2024 से अप्रैल 2025 तक चले प्रशिक्षण में विद्यार्थियों को 88 क्लास, 18 मॉक टेस्ट और विस्तृत परामर्श सत्र कराए गए। बच्चों को इंटीग्रेशन एवं मोटिवेशनल टूर पर भी ले जाया गया, जहां उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल से मुलाकात की और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों का भ्रमण किया। सेना ने इस दौरान न सिर्फ बच्चों की डॉक्यूमेंटेशन में मदद की, बल्कि प्रवेश परीक्षा के लिए ईटानगर तक पहुंचाने की भी जिम्मेदारी उठाई। इस अथक प्रयास का अभूतपूर्व परिणाम सामने आया और 33 में से 32 बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा उत्तीर्ण की। फिलहाल चल रही काउंसलिंग प्रक्रिया के बीच, मिली याबी ने पहली चयनित उम्मीदवार बनकर Sainik School East Siang में प्रवेश प्राप्त किया।

बच्चों का चयन सैनिक स्कूल में होगा Admission in Sainik School

सेना को उम्मीद है कि आगामी काउंसलिंग दौर में कम से कम 4 से 6 अन्य बच्चों का चयन सैनिक स्कूल में होगा। भारतीय सेना ने मिली याबी की उपलब्धि को सीमा क्षेत्र के बच्चों की आकांक्षाओं और अरुणाचल के युवाओं की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया है। सेना का मानना है कि उचित मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर सरली जैसे दुर्गम गांव भी भविष्य में सशस्त्र बलों के अधिकारी तैयार कर सकते हैं। संभव है कि एक दिन मिली याबी एनडीए, खड़कवासला में प्रवेश लेकर राष्ट्र की सेवा वर्दी में कर सके। यह एक वर्षीय सतत पहल Indian Army की राष्ट्र निर्माण में प्रतिबद्धता और ‘नेशन फर्स्ट’ दृष्टिकोण का सशक्त उदाहरण है। यह कहानी न सिर्फ मिली याबी की व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि पूरे अरुणाचल और सीमावर्ती गांवों के लिए गर्व का क्षण है।

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