Nandita Das Childhood Memories: अभिनेत्री और निर्देशक नंदिता दास ने हाल ही में परिवार संग स्कूल के एक समारोह में भाग लिया, जिसकी तस्वीरें पोस्ट कर उन्होंने प्रसंशकों के साथ पुरानी यादों को ताजा किया।
तस्वीरें पोस्ट कर कैप्शन में लिखा Nandita Das Childhood Memories
अभिनेत्री ने तस्वीरें पोस्ट कर कैप्शन में लिखा, “शायद ही कभी ऐसा होता है जब मैं कहीं से घूमकर आऊं और तुरंत पोस्ट कर दूं। ज्यादातर मैं कुछ हफ्ते बाद ही पोस्ट करती और उसके बारे में लिखती हूं। मुझे अपने अनुभव लिखकर याद रखना अच्छा लगता है और उन्हें अपने करीबियों, दोस्तों, परिवार और आप लोगों के साथ बांटना मुझे अच्छा लगता है। आपसे मैं कभी मिली भी नहीं, लेकिन फिर भी अपनापन महसूस होता है और अब तो मैं कुछ लोगों को पहचानने और जानने लगी हूं, आपके कमेंट्स और मैसेज को पढ़कर बहुत खुशी और लगाव महसूस होता है।”
सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती Nandita Das Childhood Memories
निर्देशक ने बताया कि वह जो पोस्ट कर रही हैं, दिल्ली की हैं। उन्होंने लिखा, “यह मेरी पोस्ट 31 अक्टूबर, सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के दिन की है।” नंदिता दास ने बताया कि उन्हें सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के मौके पर उनके स्कूल में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था। उन्होंने लिखा, “इस पोस्ट में कुछ तस्वीरें उस दिन की हैं, और आखिरी तस्वीर तब की है जब मैं वहीं नर्सरी में थी। जरा देखिए, पहचान सकते हैं क्या मुझे?
सरदार पटेल विद्यालय वापस जाकर बेहद खुशी Nandita Das Childhood Memories
उन्होंने आगे लिखा, “मुझे अपने स्कूल सरदार पटेल विद्यालय वापस जाकर बेहद खुशी हुई, जहां पर मैंने 14 साल पढ़ाई की। इस स्कूल की खासियत है कि ये सभी बच्चों को सबको साथ लेकर चलने और सवाल पूछने की आजादी में विश्वास रखता है। यही मूल्य मेरे अंदर भी हैं।” उन्होंने बताया कि यह स्कूल भारत की जड़ों से जुड़ा था, लेकिन कभी सीमित नहीं — बहुत खुला और अपनापन भरा माहौल था, जिसने मेरी सोच और शख्सियत पर गहरा असर डाला।
अलग-अलग भाषाएं सिखाई जाती थीं Nandita Das Childhood Memories
नंदिता ने बताया कि उन्हें स्कूल में अलग-अलग भाषाएं सिखाई जाती थीं। उन्होंने लिखा, “मैंने स्कूल में तमिल भाषा ली थी, और तभी मैंने सोच लिया था कि मैं कभी तमिल फिल्मों में काम करूंगी, और स्कूल में हम मराठी, असमिया, गुजराती आदि में गीत गाते थे। साथ ही, हर शुक्रवार को हम अपने अपनाए गांव ‘मंडी गांव’ के लिए संग्रह करते थे, जहां जाकर कुछ सीखते और मदद भी करते थे। स्कूल में डांस, संगीत, कला, खेल और सामाजिक काम को पढ़ाई जितना ही महत्व दिया जाता था।”
निर्देशक ने आखिर में लिखा Nandita Das Childhood Memories
निर्देशक ने आखिर में लिखा, “स्कूल में कई सालों के बाद लौटना मेरे लिए बहुत भावुक पल था। वहां के शिक्षक, छात्र, अभिभावक सब नए थे, लेकिन स्कूल का माहौल बिल्कुल वैसा ही था, जिसे देखकर दिल खुश हो गया। इस दौरान मेरे साथ मेरे माता-पिता और विहान भी साथ थे। मैंने उन्हें पूरा स्कूल घुमाया और कई पुरानी यादें ताजा की।”
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